सोने की चिड़ियाँ :-लेखक रौनकी कांडपाल
सोने की चिड़ियाँ
सोने की चिड़ियाँ भारत का कभी पुराना नाम था
आज़ादी से पहले जब अंग्रेजों का ग़ुलाम था
जगह जगह जंग छिड़ी थी खून ख़ून मे जोश था
आज भी आज़ाद भगत अमर हैं सुभाश चंद्र जो बोस था
गांधी चला रहे थे आंधी अहिंसा जिसका नाम था
आज़ादी से पहले जब अंग्रेजों का गुलाम था
लक्ष्मी बाई उत्तर कर आई झाँसी की थी जो रानी
अंग्रेजों को मारा उसने खुद दी अपनी कुर्बानी
गली गली मैं शोर मचा था घरों घरों मे कुहराम था
आज़ादी से पहले जब अंग्रेजो का ग़ुलाम था
भारत छोड़ो नारेबाजी सब का एक ही काम था
आज़ादी से पहले जब अंग्रेजों का ग़ुलाम था
छोटे छोटे कस्बों के सब योद्धा मिल कर आये थे
देख कर उनका मेल मिलाप गोर भी घबराये थे
आज़ादी से पहले जब अंग्रेजों का ग़ुलाम था
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